समान नागरी संहिता पर संसद में चर्चा की काँग्रेस से उठी मांग
राज्यसभा सांसद जयराम रमेश का चौंकाने वाला बयान
File News
हां... हां... चौंकिए मत काँग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने राज्यसभा में यह मांग उठाई. उनकी इस मांग के बाद देश के कई राजनीतिक विश्लेषकों और राजनीतिक पार्टियों के लोगों की भंवें तन गई है, क्योंकि काँग्रेस अरसे से समान नागरी संहिता का विरोध कर रही है.
समान नागरी संहिता के चलते देश के हिंदूओं पर अन्याय होने की बात पिछले कई दशकों से हिंदूवादी संगठनों की ओर कही जा रही है. इसीके चलते मुस्लिमों को बेवजह अधिकार मिल रहे है. इसलिए भाजपा समेत देश के हिंदूत्ववादी संगठन देश में फौरन समान नागरी संहिता को लागु कराने की मांग कर रहे है. भाजपा हर चुनाव में इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में समावेश करती आई है.
राज्यसभा में बोलते हुए जयराम रमेश ने कहा कि, देश में समान नागरी संहिता को लागु कराने के संदर्भ में वर्ष 2016 में केंंद्र की मोदी सरकार ने विधि आयोग को सिफारीश की थी. विधि आयोग ने इस पर सघन अभ्यास कर अगस्त 2018 में ही इसके संदर्भ में एक रिपोर्ट केंद्र को सौंपी है.
185 पन्नों की इस रिपोर्ट में विधि आयोग ने विवाह, तलाक, बच्चों पर अधिकारों को लेकर मार्गदर्शक तत्व, गोद लेने की प्रक्रिया, वंशानुगत अधिकार इस विषय में विस्तार से अपना मंतव्य दिया है. अपने गहन अध्ययन के बाद समान नागरी संहिता से उत्पन्न होने वाली स्थिति का अंदेशा जताकर विधि आयोग ने इस कानून की अभी कोई भी आवश्यकता ना होने मत इस रिपोर्ट में व्यक्त किया है.
इसी मुद्दे को लेकर जयराम रमेश ने राज्यसभा में मांग की है. उन्होंने कहा कि, सरकार विधि आयोग के इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करें इस पर संसद में बहस करें.
अगर रिपोर्ट में समान नागरी संहिता को लागु कराने के संदर्भ में प्रतिकुल मत व्यक्ति किया गया हों, तो इससे भाजपा की काफी किरकिरी हो सकती है. यही बात है कि, पिछले दो वर्षो से भाजपा इस मुद्दे पर प्राप्त रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से बचती दिखाई दे रही है.
समान नागरी संहिता की मांग को उठाकर काँग्रेस भाजपा का टायर पंक्चर कराने का प्रयास कर रही है. अब इस आने वाले समय में भाजपा क्या रूख अपनाती है, यह देखने लायक होगा. क्योंकि इस मुद्दे को लेकर संघ परिवार के संगठन भाजपा पर दबाव बना सकते है. यही बात सोचकर काँग्रेस की ओर से यह चाल चलने की संभावना विश्लेषकों की ओर से जताई जा रही है.
Tags - Demand raised by Congress to discuss common civil code in Parliament
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