कोरोना वाइरस से ज्यादा अफवाहों के संक्रमण से बचने की आवश्यकता
रुबी हाॅल क्लिनिक के मैनेजिंग ट्रस्टी डाॅ. परवेज ग्रांट का आवाहन
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पुणे - इस समय कोरोना के संक्रमण ने पूरी दुनिया के लोगों में दहशत फैला रखी है. इस महामारी के चलते विश्व में अब तक हजारो जिंदगियां खत्म हो चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा विभिन्न देशों की सरकारों की ओर से कई सारे प्रयास किए जा रहे है. ऐसे में लेकिन इस बीमारी के संदर्भ में आए दिन कई सारी अफवाहें चलती रहती है.
इन अफवाहों के चलते लोग कई बार भ्रमित होते है. ऐसे में इस महामारी से भी ज्यादा खतरा इन अफवाहों के संक्रमण होता है, जोकि काफी घातक है, ऐसी जानकारी पुणे के रुबी हाॅल क्लिनिक के मैनेजिंग ट्रस्टी डाॅ. परवेज ग्रांट ने दी.
कोरोना संदर्भ में लोगों में जनजागृति के उद्देश्य से डाॅ. ग्रान्ट ने जानकारी सार्वजनिक की है. उन्होंने कहा है कि, कोरोना वाइरस के संक्रमण के चलते पूरे देश में लाॅकडाउन की स्थिति है. सरकार की ओर से कई सारे प्रयास किए जा रहे है. ऐसे में लोगों में फैले भ्रम को दूर करना काफी आवश्यकता है.
डाॅ. ग्रांट ने बताया कि, हर एक महामारी के पीछे दबे बांव अफवाहों का उभार आता है है. कोविड-19 के संदर्भ में भी हमें यही अनुभव प्राप्त हो रहा है. कोरोना का वाइरस कैसे उत्पन्न होता है, उसका प्रसार कैसे होता है, किन उपायों से उसे रोका जा सकता है, इन बातों पर इस समय काफी सारे दावे किए जा रहे है. कुछ लोग तो गौमूत्र को ही कोरोना की दवा बता रहे है. साथ में घरेलु नुस्खे भी वाइरल किए जा रहे है, लेकिन इनमें से एक भी दावा कोई ठोस उपाय बताने में नाकाम रहा है. आधे-अधूरे ज्ञान के में किए गए कुछ उपाय घातक साबित हो सकते है.
आज सोशल मीडिया काफी प्रभावी माध्यम बन चुका है. लेकिन यही माध्यम आज बेहतरीन सूचनाओं के साथ-साथ कई बार गलत सूचनाएं भी सार्वजनिक करता है. इसलिए इस माध्य से आने वाली सूचनाओं पर हमें गौर करते हुए विशेषज्ञों की राय लेनी होगी. आखें मूंदकर हम इनके द्वारा प्रसारित जानकारी पर विश्वास नहीं कर सकते.
डाॅ. ग्रांट ने आगे बताया कि, प्रधानमंत्री ने देश में लाॅकडाउन घोषित किया. साथ में सोशल डिस्टन्स रखने के लिए भी कहा. लेकिन लोगों ने लाॅकडाउन के डर से किराना और मेडिकल दुकानों में भीड़ करते हुए सामान खरीदा. इससे कोरोना के खिलाफ चलने वाले सभी उपाय नाकाम साबित हो सकते है.
यह बात साबित करती है कि, अगर गलत सूचना लोगों तक पहुंची तो इसके लोग पैनिक हो जाते है. इसलिए लोग इस बीमारी के संदर्भ में किसी भी अफवाहों पर विश्वास ना करते हुए विशेषज्ञों की राय पर ही अपनी राय बनाएं. इसे देखते हुए डब्ल्यूएचओ फेसबूक, ट्वीटर, टिकटाॅक जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रहा है. हमारा कर्तव्य है कि, हम भी इसके संदर्भ में जागरुक रहें
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