दया और करूणा की मूर्ति है उर्मिला कराड - प्रा. रतनलाल सोनग्रा
माता गुरूमाई पुरस्कार कवि उर्मिला कराड को दिया गया
पुणे - करूणा, दया और सभी को प्यार करने वाले अनुभव के आधार पर ही यह सृष्टी स्थापित है. कवि उर्मिला विश्वनाथ कराड ने इस आकाश को बनाए रखने और अपने लोगों को परिपूर्ण करने का काम किया है, ऐसे विचार वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. रतनलाल सोनग्रा ने रखे.
महाराष्ट्र साहित्य परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि उर्मिला विश्वनाथ कराड को वत्सल माता गुरूमाई पुरस्कार पुणे के महापौर मुरलीधर मोहल की पत्नी मोनिका मोहल तथा वरिष्ठ साहित्यकार रतनलाल सोनग्रा के हाथों प्रदान किया गया. वह उस समय मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस मौके पर संत साहित्य के अध्ययनकर्ता डॉ. सुधाकर पाटिल दराडे, माईर्स एमआईटी के अधिष्ठाता प्रो. शरदचंद्र दराडे पाटिल, एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड और विख्यात संगीतकार तथा गायक पं. रविंद्र यादव उपस्थित थे.
उर्मिला विश्वनाथ कराड ने कहा कि, माता गुरमाई पुरस्कार के कारण आज मैं बहुतों की मॉ बन गई और मुझे मातृत्व मिला. बाबा आमटे, गाडगे बाबा, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, शेलार मामा जैसे कई महान विभूतियो के साथ सहवास मिला. इन्होंने मेरे जीवन को समृध्द बनाया है.
रंगनाथ नाईकवाडे ने कहा, जो लोग कवियों की संगति में रहते है उनका जीवन बहुतों का आधार बन गया है. देवी सरस्वती और लक्ष्मी कभी भी एक साथ नहीं होती है, लेकिन उर्मिला कराड के कारण इस परिवार में दोनों चीजें एक साथ आई है. डॉ. विश्वनाथ कराड के साथ हमेशा साये की तरह रहते है. उनकी वजह से आज यह संख्या खडी है.
चंद्रकांत महाराज वांजले ने कहा, कवि उर्मिला कराड हमेशा समुदाय को देते रही है, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि समुदाय को कुछ देना है. यह भावना केवल उन लोगों दवारा प्राप्त की जाती है जो अंतरंग में अभ्यास करते है, आप सरस्वती के उपासक है.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, हमारी मॉ के कारण डॉ. विश्वनाथ कराड को सहयोग मिला. उच्च शिक्षित होने के बावजूद उन्होंने पूरे परिवार को बनाए रखे हुए एमआइटी को आगे बढाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
इस अवसर पर स्वरविमल प्रस्तूत गुणवंतांच्या सहवासात यह कार्यक्रम संगीतकार और गायक पं. रविंद्र यादव ने प्रस्तुत किया. जिसमें कव्वि उर्मिला कराड द्वारा लिखी गई कविताओं पर आधारित गीत प्रस्तूत किए गए.
इस समय गायिका चारुलता बेलसरे, भगवान महाराज कराड, प्रकाश सुतार, प्रज्ञाचक्षु गणपतराव महाराज जगताप, डॉ. अर्चना पाटिल, वि.दा. पिंगले और ज्योतिराम कदम का विशेष सम्मान किया गया. इस अवसर पर ललिता देशमुख ने सम्मानपत्र का वाचन किया. श्रीपाद कोंडे देशमुख ने प्रस्तावना की और मंच संचालन विजय बोत्रे ने किया.
Tags - The idol of mercy and compassion is Urmila Karad - Pvt. Ratanlal Sonagra
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