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बैटरी इलेक्ट्रोड्स और सोलार सेल एनर्जी बढ़ोतरी में हुआ नायाब अनुसंधान

‘सिंहगड इन्स्टिट्यूट’ के पूर्व छात्र वरुण नातु की मेहनत रंग लाई



पुणे. एनबीएन सिंहगड कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के पूर्व छात्र तथा मेकैनिकल इंजीनियर वरुण नातु ने एक नायाब अनुसंधान किया है. बैटरी इलेक्ट्रोड्स तथा नेक्स्ट जनरेशन सोलार सेल एनर्जी में बचत तथा उसे और भी उन्नत कर उनकी एनर्जी को बढ़ाना इस अनुसंधान के बाद संभव होगा.

यूएसए से प्रकाशित मशहुर पत्रिका ‘केम’ के मार्च महीने में प्रकाशित छठवें संस्करण में एक लेख द्वारा विस्तार से जानकारी दी है. यह पत्रिका 13 मार्च 2020 को प्रकाशित की गई, जिसके पेज नंबर 616 से 630 तक विस्तार से जानकारी दी गई है. इस लेख में वरुण लिखते है कि, कैसे विभिन्न तरह एनर्जी सेविंग की एक्सेसीरीज में इस्तेमाल होने वाली ‘एमएक्सएनीज’ जोकि 2 डाइमेंशनल ट्रांजीशन मेटल कार्बाइड और नाइट्रिज की एनर्जी को बढ़ाने में काफी तेजी आएगी. यह अनुसंधान बैटरी इलेक्ट्रोड्स और नेक्स्ट जनरेशन सोलार सेल के क्षेत्र में काफी क्रांतिकारक साबित होगा.

इलेक्ट्रिक बैटरियों के इलेक्ट्रोड्स को चार्जिंग कराने के लिए सबसे अहम ‘सॉल्वंट’ होता है पानी. लेकिन वरुण के इस अनुसंधान के बाद बगैर पानी का इस्तेमाल किए ‘एमएक्सएनेज’ का निर्माण हो पाएगा जिससे नैनोमटेरियल्स के परफॉर्मन्स को बढ़ाने काफी सहायता मिलेगी. साथ ही नेक्स्ट जनरेशनल सोलार सेल्स के विकास में भी नयी क्रांति आएगी.

अमरीका के फिलाडेल्फिया स्थित ड्रेक्जेल यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग के कॉलेज लेयर्ड सॉलीडस् रिसर्च ग्रुप कार्यरत है. इस ग्रुप को प्रा. डॉ. माइकेल बारसम लीड़ कर रहे है. फिलाडेल्फिया यूनिवर्सिटी 1891 स्थापित की गई थी, जिसमें अब तक कई बड़े अनुसंधान हुए है. इसी ग्रुप के साथ वरुण नातु ने अपना यह अनुसंधान पूरा किया है.

अपने इस अनोखे अनुसंधान के बाद वरुण ने सिंहगड शिक्षा संस्थान के संस्थापक प्रा. एम. एन. नवले, एनबीएन सिंहगड स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के प्रिन्सीपल प्रा. डॉ. एस. डी. मार्कंडे, हेड ऑफ द डिपार्टमेंट प्रा. एम. एम. जोशी और बाकी सभी अध्यापकों को धन्यवाद प्रेषित किया है. इस अनुसंधान में प्रेरणा देने के लिए वरुण ने सभी के आभार प्रकट किए.

सभी अध्यापकों के साथ बात करते हुए वरुण ने अपने कॉलेज के दिनों की यादें ताजा की. उन्होंने अपने अनुसंधान की इंटर्नशीप एनसीएल (पुणे) में की थी. तब उन्होने डॉ. सतीशचंद्र बी. ओगले के नाम से चलने वाली ओलगे लैब में बेहतरीन मार्गदर्शन प्राप्त हुआ. वरुण मानते है कि, उनके इस अनुसंधान में एनसीएल तथा एनबीएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के सभी प्राध्यापक और अधिकारियों का अहम योगदान है.

Tags - 'Sinhagad Institute' alumnus Varun Natu's hard work brought great success.

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