पाकिस्तान में ईशनिंदा के खिलाफ लड़ने वाली वीरांगना को मिली फ्रांस की नागरिकता
इस्लामिक चरमपंथियों के खिलाफ किया आठ वर्षों का कठीन संघर्ष
फोटो - अल जजिरा
नई दिल्ली - पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के खिलाफ आठ वर्षों तक कड़ा संघर्ष करते हुए इस्लामिक चरमपंथ को मात देने वाली वीरांगना आसिया बिबी को अब फ्रान्स में आश्रय मिल गया है. फ्रान्स के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात करने के बाद आसिया बिबी को फ्रान्स ने अपनी नागरिकता देने की घोषणा की.
हाल ही में आसिया बिबी और इमैन्यूएल मैक्रोन की मुलाकात हुई. इस मुलाकात के बाद फ्रान्स ने यह फैसला लिया. इस फैसले से आसिया बिबी को अब अगली जिंदगी सुख-चैन से बसर करने के लिए एक आशियाना मिल गया है.
ज्ञात हों कि, आसिया बिबी एक ईसाई समुदाय से है. वर्ष 2010 में कुछ महिलाओं के साथ हुए आसिया बिबी का झगड़ा हुआ था. इसके बाद उसके खिलाफ ईशनिंदा की शिकायत की गई. इसके बाद आसिया बिबी और उसके परिवार को भयंकर प्रताड़ना का सामना करना पड़ा.
पाकिस्तान में पिछले करीब 35-40 वर्षों से ईशनिंदा का एक बहोत ही अंधा कानून है. इसके तहत अगर किसी भी गैर इस्लामिक व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की गई कि, उसने ईशनिंदा की है, तो उसे बगैर कोई ज्यादा बचाव के फांसी की सजा दी जाती है. आसिया बिबी भी इस काले कानून की शिकार हुई थी.
आसिया बिबी एक खेतमजदूर थी और उसके चार बच्चे है. वर्ष 2010 में उसने खेत में दूसरी महिलाओं के ग्लास से पानी पिया था. चूंकि, आसिया बिबी मुस्लिम नहीं ईसाई थी, इसलिए वहां उपस्थित मुस्लिम महिलाओं ने उसके साथ विवाद उत्पन्न किया.
लेकिन आसिया बिबी ने हार नहीं मानी और उसने कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रिम कोर्ट तक लड़ती रही. इस दौरान आठ वर्ष गुजर गए. इस लड़ाई के बाद वर्ष 2018 को पाकिस्तानी सुप्रिम कोर्ट में आसिया बिबी को निर्दोष करार दिया. कोर्ट ने अपने मंतव्य में बताया कि, आसिया बिबी के खिलाफ द्वेषभावना से शिकायत की गई है.
आसिया बिबी को रिहा करने के बाद पाकिस्तान में फिर एक बार कठमुल्लों ने उसके खिलाफ वातावरण भड़काने की कोशीश की. कई इस्लामिक चरमपंथियों ने मांग की कि, आसिया बिबी को भीड़ के हवाले किया जाए. इस बीच आसिया बिबी परिवार समेत कनाड़ा में चली गई थी.
इसकी खबर पाकिस्तान के आम नागरिकों और कट्टरपंथियों को अभी तक नहीं थी. कट्टरपंथियों के खौफ के मारे पाकिस्तान सरकार और मिलिट्री इस्टैब्लिशमेंट ने आसिया बीवी को रातोरात पाकिस्तान के बाहर भेज दिया था. कट्टरवादी संगठन और आम पाकिस्तानी यही सोच कर चल रहे थे कि आसिया बीवी पाकिस्तान के ही किसी जेल में बंद हैं. हालांकि, उसके विदेश भेजे जाने की आशंका जरूर बतायी जा रही थी. अब जबआसिया बीवी का विदेश में होने का पता चल चुका हैं तब कट्टरपंथियों द्वारा फिर से पाकिस्तान में अशांति फैलाये जाने की आशंका जताई जा रही हैं.
इमरान खान सरकार और कई मिलिट्री अफसर अब तहरीक-ए-लब्बैक एवं तहरीक-ए-तालिबान जैसी आतंकवादियों कट्टर आतंकी संगठनों के निशाने पर आ सकते हैं.
अब फ्रान्स द्वारा अधिकृत तौर पर अपने यहां शरण देने के बाद आसिया बिबी ने काफी संतोष जताया है. उसने कहा कि, पिछले आठ से दस वर्षों से चला आ रहा उसका संघर्ष अब थम जाएगा और वह सुख-चैन से जी पाएगी. साथ ही फ्रान्स द्वारा नागरिकता देने पर वह काफी गौरवान्वित महसूस कर रही है.
आसिया बिबी के प्रकरण ने पाकिस्तान में चल रहे ईशनिंदा के दकियानूसी और क्रूर कानून और परंपरा को उजागर किया है. साथ ही पाकिस्तान में गहराई तक जड़े जमा चुके इस्लामिक चरमपंथ और वहां के अल्पसंख्यों के प्रति उनके रवैय्ये के चेहरो को भी बेनकाब किया है.
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