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कोरोना वायरस से भी भयंकर महामारी के बारे में आप जानते हैं?

हर साल 88 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार भयंकर महामारी 


आज कोरोना वायरस की दहशत चारों और फ़ैल चुकी हैं. कई जगह स्कूलों को छुट्टी दी गयी, कही मास्क का शॉर्टेज हैं तो कहीं ऑफिसेस से पंचिंग मशीने बंद कर दी गयी हैं. हर जगह कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता फैलाने के सन्देश दिए जा रहे हैं. नि:संदेह यह एक खतरनाक बिमारी हैं जो तेजी से दुनियाभर में फ़ैल रही हैं. 

मगर क्या आप जानते हैं इससे  भी खतरनाक महामारी आपके दरवाजे पर दस्तक दे चुकी हैं. एक ऐसी महामारी जिसके कारण प्रतिवर्ष 88 लाख से ज्यादा अकाल मौतें हो रही हैं. जिसने दुनिया के हर मनुष्य की जीवन रेखा को करीब 3 साल से छोटी कर दी हैं.

पर ना इसके बारे में किसी स्कूल को छुट्टी दी जाती ना ही कही मास्क पहना जाता हैं, ना ही ऑफिसेस की पंचिंग मशीने बंद रखी जाती हैं और ना ही कहीं जागरूकता फैलाने के लिए कोई बड़ा कदम उठाया जा रहा हैं. हमारे देश की राजधानी भी इसके चपेट में पूरी तरह आ चुकी हैं. इस देश का ही नहीं विश्व का एक भी व्यक्ति आज इससे अछूता नहीं हैं.

आपके बच्चों का भविष्य कैसे हो यह आपके हाथों में हैं. क्या आप उन्हें इस महामारी से बचाना चाहते हैं? तो यह स्पेशल रिपोर्ट जरूर पढ़ें. पूरा पढ़ें और सभी को पढ़ने के लिए बाध्य करें.

दुनिया में वायु प्रदूषण की तुलना किसी "महामारी" से की जा रही है. वायु प्रदूषण आज के समय में एक मुख्य वैश्विक स्वास्थ्य जोखिमों में से एक है, जिससे अतिरिक्त मृत्यु दर में बढ़ोतरी तथा जीवन के कुछ वर्षों का कम होना आम बात बन चुकी हैं. 

विशेष रूप से हृदय रोगों के बढ़ते प्रमाण जिंदगी के कुछ वर्षों को घटाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली विभिन्न बीमारियों के कारण दुनिया भर के लोगों का औसतन जीवन लगभग तीन साल से घट चुका हैं. 


The European Society of Cardiology द्वारा 3 मार्च, 2020, द्वारा प्रकाशित एक अभ्यास प्रकाशित किया गया. “Loss of life expectancy from air pollution compared to other risk factors: a worldwide perspective.” (अन्य जोखिम कारकों की तुलना में वायु प्रदूषण से जीवन प्रत्याशा का नुकसान: एक विश्वव्यापी परिप्रेक्ष्य) नाम से किये गए अध्ययन में तेल, गैस और कोयले के जलने से निर्माण होने वाले विषैले कणों से मानवी जीवन पर होने वाले घातक परिणामों पर विशेष अभ्यास किया गया हैं.

सार्वजनिक स्वास्थ्य जीवन पर वायु प्रदूषण द्वारा होने वाली क्षति उम्मीद से बहुत बड़ी है. हमारे अभ्यास के परिणाम यह बताते हैं कि एक वायु प्रदूषण किसी महामारी से कम नहीं हैं. नीति-निर्माताओं (Policy makers) और चिकित्सा समुदाय को इस पर अधिक ध्यान देना चाहिए. लगभग दो-तिहाई अकाल मृत्यु के लिए मानव निर्मित वायु प्रदूषण जिम्मेदार हैं, जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (तेल, गैस और कोयला) के उपयोग से पैदा हो रहा हैं.



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