मुंह का कैन्सर : समय पर निदान, निश्चित जीवनदान
कैंसर एक गंभीर बिमारी हैं. आज भी कैंसर का भय अच्छे से अच्छे हिम्मतवान इंसान को भी अंदर से हिला दे सकता हैं. मगर इस बात को हम सही ढंग से समझे तो कैंसर जानलेवा नहीं हैं. मगर थोड़ी सी लापरवाही भी इसे गंभीर और जानलेवा बना सकती हैं. पर कैंसर के बारे में मैं इतना ही कह सकता हूँ कि, इस बिमारी का किसी के भी जिंदगी को स्पर्श, किसी नरक से कम नहीं हैं. इसीलिए इसे ना होने देने में ही कैंसर पर सबसे बड़ी जीत हैं.
किसी को कैन्सर की बीमारी होने पर उस इंसान को लगता है, जैसा अब अपना सब कुछ खत्म हो चुका है. इस विचार से मनुष्य निराशा के भंवर में धंसता चला जाता है. लेकिन पिछले कुछ दशकों में मेडिकल साइन्स ने काफी प्रगति कर ली है, इसलिए आज कोई भी बीमारी लाइलाज नहीं है.
अगर सही समय में कैन्सर की बीमारी का पता चल जाए और उस पर उचित तरीके से इलाज किया जाए तो कोई भी मरीज इस बीमारी के भंवर से हमेशा के लिए बाहर आ सकता है और उसकी जीवनरेखा और लम्बी की जा सकती है. लेकिन इसके लिए जरुरत है केवल हमें इस स्थिति में भी अपना मनोबल उंचा रखने और विशेषज्ञों के माध्यम से उचित इलाज प्राप्त करने की.
वैसे तो कैन्सर की बीमारी के विभिन्न प्रकार होते. लेकिन आज हम इस भाग में Oral Cancer (मुख कर्करोग) पर चर्चा करेंगे. भारत में होने वाले कुल कैन्सर की बीमारियों में ओरल कैन्सर की मात्रा एक तिहाई होती है. प्रतिवर्ष भारत में 17 हजार 500 लोगों की मृत्यु मुंह के कैन्सर से होती है.
इसमें एक काफी चौंकाने वाली बात है कि, इनमें से ज्यादातर मौते युवाओं की होती है. ओरल कैंसर (Oral Cancer) एक व्यापक शब्द है जिसमें विभिन्न घातक बीमारियां शामिल हैं.
'इंडियन कौन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च'अंतर्गत (आयसीएमआर) के अंतर्गत कार्यरत 'नॅशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ कॅन्सर प्रिव्हेन्शन'ने 2019 में किये गए एक अभ्यास में पाया कि, भारत में ओरल कैंसर की बिमारी का तेजी से बढ़ना चिंता का विषय हैं. बीते छह वर्षों में मुख कैंसर के पेशेंट्स में 2 लाख से ज्यादा बढ़ोतरी होकर यह आंकड़ा 12 लाख के ऊपर पहुँच चूका हैं. इस संशोधन में यह पाया गया की भारत ओरल कैंसर की वैश्विक राजधानी बन चुका हैं. एक ओर जहाँ ओरल कैंसर के पेशेंट की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी होने की बात सामने आयी हैं, वहीँ दूसरी ओर इस विषय पर जागरूकता की कमी या बेफिक्री विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय हैं.
इसमें गुटखा, तम्बाकू, पान मसाला जैसे घातक पदार्थों के सेवन करने वालों की संख्या में हो रहे रिकॉर्ड वृद्धि और सेवन करने वालों की औसतन उम्र में आयी गिरावट निश्चित ही चिंता बढ़ाने वाली हैं, ऐसा विशेषज्ञों का मानना हैं. इसलिए मुख से सम्बंधित बीमारियों से बचने के लिए सावधानियों के प्रति उदासीनता एक गंभीर संकट की ओर इशारा कर रहा हैं.

विशेषज्ञ मानते हैं, कि अगर इसी तरह से मुख रोगों की अनदेखी की जाती रही तो एक दिन भारत में 50% से ज्यादा भारतीय या तो मुख कैंसर से पीड़ित हो सकते हैं या कैंसर की शुरुआत की स्टेज में हो सकते हैं.
Tags: Oral Cancer: Timely Diagnosis Can Give You Assurance of Living
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