कोरोना के संकट में पृथ्वी का एक पर्यावरणीय महासंकट टला
आर्टिक्ट सर्कल का ओज़ोन का बड़ा छेद हुआ बंद
पुणे - इस समय पूरे विश्व मे कोरोना का संकट छाया है. अब इस त्रासदी में करीब 2 लाख से अधिक लोगों की जिंदगियां खत्म हो चुकी है. लेकिन कोरोना के इस भीषण संकट की स्थिति में भी पृथ्वि पर आने वाला एक महासंकट टल गया है. कोरोना के संकट में यह खबर कहीं दब सी गई है, लेकिन यह खबर वाकई में पृथ्वी के जीव-जंतु, पेड़-पौधे और मानव जाति के लिए सकारात्मकता लेकर आई है.
कोरोना संकट जब से शुरू हुआ, तभी से इसका संक्रमण रोकने के लिए अमरीका से लेकर यूरोप तक और अफ्रिका से लेकर एशिया तक कई सारे देशों में लाॅक डाउन की घोषणा की गई है. इसका नतीजा यह रहा कि, पिछले कुछ दिनों में पूरी पृथ्वि का प्रदूषण काफी कम हो गया.
कुछ दिन पहले यह खबर आई थी कि, पृथ्वि के उत्तरी ध्रुव आर्टिक्ट सर्कल के ओज़ोन पर एक बड़ा सा छेद हो गया था. मौसम वैज्ञानिकों ने इसे पृथ्वी पर एक महासंकट बताया था. इस संकट के चलते सूरज से आने वाले अतिनील (अल्ट्रावायोलेट) किरणें सीधे उत्तरी ध्रुव पर पड़ती, जिससे उत्तरी ध्रुव के ग्लेशियर पिघलने से महासागरों का जलस्तर बढ़ता और पृथ्वि के पर्यावरण को भी गंभीर खतरा पैदा होता.
जब महासागरों का जलस्तर बढ़ता है तब समुंदर के किनारे बसें शहरों में पानी की लेवल बढ़ने का खतरा रहता है. वैसे भी पिछले कुछ वर्षों से ग्लोबल वाॅर्मिंग ने सभी की नींद उड़ा रखी थी. कुछ देश तो ऐसे भी है कि, जोकि समुंदर के पानी में डूबने की प्रक्रिया शुरू भी हुई थी, जिससे चिंता और भी बढ़ गई थी.
इस स्थिति को देखते हुए यूनाइटेड नेशन्स समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा विश्व में ग्रीन हाऊस गैसेस का उत्सर्जन और प्रदूषण कम करने के लिए जमक प्रयास किए जा रहे थे. इसीके चलते क्योटो करार, पैरीस करार जैसी पहल की गई थी, जोकि नाकाफी ही साबित हो रही थी.
क्या था ताजा पर्यावरणीय महासंकट
आर्टिक्ट सर्कल पर ओज़ोन में पड़ा यह बड़ा छेद तैयार होने की जानकारी सबसे पहले काॅपरनिकन एटमोस्टफीयर आॅब्जर्वेशन सर्विस ने किया. पिछले महीने में यह छेद और भी बड़ा हो गया था. इसकी बढ़ती गति को देखते हुए यह जल्द ही दक्षिणी गोलार्ध तक पहुंचने का डर भी वैज्ञानिकों को सता रहा था.कोरोना विषाणु के संकट के चलते पूरे विश्व के करीब-करीब सभी देशों में लाॅक डाउन बंद है. सभी उद्योग बंद पड़े है. जिससे वातावरण में प्रदूषण की मात्रा काफी कम हो गयी है. लेकिन वैज्ञानिकों यह दावा खारीज किया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि, लाॅकडान और ओज़ोन के छेद का बुझना केवल योगायोग है. लाॅक डाउन का इससे कोई संबंध नहीं है.
ओज़ोन में पड़ा यह छेद बंद होने का प्रमुख कारण स्ट्रैटोस्फीयर के गर्म होने से है. अप्रैल से उत्तरी ध्रुव का तापमान बढ़ने लगता है. जिससे आर्टिक्ट के उपर स्ट्रैटोस्फेरिक स्तर भी गर्म होने लगा जिससे ओज़ोन की मात्रा बढ़ गई और यह छेद पूरी तरह से बंद हो गया.
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