खुशखबर.... कोरोना वाइरस को नष्ट करने वाले एन्टी पैरासाइटिक दवाई की हुई खोज
ऑस्ट्रेलिया के अनुसंधानकर्ताओं के हाथ लगी बड़ी कामयाबी
File Photo |
चाइना के वुहान शहर में उत्पन्न हुए कोरोना वाइरस ने पहले चाइना में आम लोगों की जिंदगियां ली ली थी. इसके बाद इस वाइरस का फैलाव पूरे विश्व में हुआ. आज अमरीका और यूरोप के ब्रीटेन, फ्रान्स, स्पेन, इटली, जर्मनी समेत कई अमीर और संपन्न देशों में त्राहीमाम मचाया हुआ है.
इस वाइरस ने अब तक विश्व के 200 देशों तक अपने पांव पसार रखे है और करीब 70 हजार से अधिक जिंदगियां खत्म कर दी है. आज विश्व के सबसे उन्नत औ संपन्न देशों के सर्वसत्ताधीशों की नींद इसने उड़ा रखी है और वहां की अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का लगा है.
ऐसे में कोरोना को रोकने के लिए पूरे विश्व के वैज्ञानिक और बड़े-बड़े चिकित्सा संस्थान के विशेषज्ञ एड़ी-चोटी का जोर लगाकर अनुसंधान कर रहे है. इस बीच ऑस्ट्रेलिया से एक अच्छी खबर आई है. यहां के अनुसंधानकर्ताओं ने पहले से मौजूद एक एन्टी पैरासाइटिक (परजीवी विरोधी) दवाई आइवरमेक्टिन (Ivermectin) की मदद से कोरोना के सेल कल्चर को नष्ट करने में सफलता प्राप्त की.
इसका मतलब है कि, आइवरमेक्टिन पैरासाइटिक दवाई के माध्यम से कोरोना विषाणू के मानवी पेशियों पर थोक स्वरूप में होने वाले असर को रोकने में सफलता मिली. इस ऐतिहासिक अनुसंधान की विस्तार से जानकारी विश्वविख्यात पत्रिका एन्टीवायर रिसर्च में विस्तार से छपी है.
इस रिपोर्ट में मोनाश विश्वविद्यालय की काइली वैगस्टाफ में बताया कि, जिस तरह मनुष्य में डीएनए होता है, उसी तरह विषाणूओं में आरएनए होता है. आइवरीमेक्टिन एक डोज से कोरोना के वाइरस को 48 घंटों के भीतर पूरी तरह से नष्ट करने में सफलता मिली है. इससे भी खुशी की बात यह कि, जब इसका प्रयोग मनुष्यों पर होगा, उस समय मात्र 24 घंटों के भीतर भी कोरोना वाइरस को नष्ट करना संभव हो सकेगा.
विशेषज्ञों की मानें तो आइवरमेक्टीन को पहले से विश्व के विभिन्न देशों की ओर से पहले से ही मान्यता मिली हुई है. इस समय यह दवाई पहले से मौजूद बीमारियों जैसे एन्फ्लुएन्जा, डेंग्यू, जिका और एचआईवी जैसी बीमारियों पर इस्तेमाल हो रहा है. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि, अभी यह सीर्फ लैब टेस्टिंग तक ही सीमित है.
जब लोगों पर इस दवाई से इलाज शुरू होगा तो इसके वास्तविकता में नतीजे सामने आएंगे. हालांकि, उन्होंने कहा है कि, आइवरमेक्टीन यह दवाई कई जगहों पर सुरक्षीत मानी गई है और इसका मानवी शरीर पर कोई खास साइड इफेक्ट नहीं होता. हालांकि, जब कोरोना संक्रामक मरिजों पर इसका प्रयोग होने पर इसके क्या नतीजे होंगे, यह तो प्रयोगों के बाद ही पता चलेगा, ऐसी जानकारी विशेषज्ञों ने दी है.
राॅयल मेलबर्न हाॅस्पीटल की लियोन कैली जोकि एक विख्यात वाइरोलाॅजीस्ट है, उनका कहना है कि, आईवरमेक्टीन का कोरोना के इलाज के संदर्भ में मै काफी आशावादी हूं. हालांकि, इसके टेस्टिंग में कैसे नतीजे आते है, यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा. आइवरमेक्टीन का इस्तेमाल करने की सरकार द्वारा अनुमति तो है, लेकिन मानवी शरीर पर क्या और कैसे नतीजे दिखेंगे, इसी पर इस दवाई के इस्तेमाल और कोरोना संक्रमण के इलाज की व्याप्ती निर्भर होगी.
यह खबर वाकई में लोगों को दिलासा देने वाली है. जहां प्रतिदिन हम हम लोगों के कोरोना से संक्रमित होने या कोरोना से मौतों की खबरें सुनते है, इस दवाई के इस्तेमाल के बाद कोरोना से आज इतने लोग ठिक हुए, आज इतने लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, ऐसी खबरें भी सुन पाएंगे. इसलिए यह खबर सभी के लिए काफी राहत लेकर आ सकती है.
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